Electricity विद्युत -1
The property of the fundamental particles of atoms of matter due to which those particles get distracted or attracted in an electric or magnetic field is called charge. The S.I unit of charge is coulomb (C).
आवेश या विद्युत आवेशः- पदार्थ के परमाणुओं के मौलिक कणों का वह गुण जिसके कारण वे कण विद्युतीय या चुम्बकीय क्षेत्र में विचलित या आकर्षित होते हैं, आवेश कहा जाता है । आवेश का S.I मात्रक कूलॉम ( C ) होता है ।
आवेश दो प्रकार के होते हैः- धनावेश और ऋणावेश ।
कुलॉम का नियमः-इस नियम के
अनुसार, किसी दो बिन्दु-आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण
या प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके
बीच के दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
आयनः- आवेश युक्त कणों या कणों
के समुह को आयन कहते हैं ।
आयन दो प्रकार के होते हैः- धनायन और ऋणायन ।
आवेश का संरक्षणः- आवेश को न तो
उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे
आवेश का संरक्षण कहते है।
विद्युत का चालकः- जिस पदार्थ से
होकर विद्युत आवेश प्रवाहित हो सकता है, उसे विद्युत का
चालक पदार्थ कहा जाता है । जैसे- ताँबा, लोहा, आदि ।
विद्युतरोधी या कुचालकः- - जिस
पदार्थ से होकर विद्युत आवेश प्रवाहित नहीं हो सकता है, उसे
विद्युत का कुचालक पदार्थ कहा जाता है । जैसे-सूखी हवा, रबड़
आदि ।
अर्धचालकः- वैसे पदार्थ जिसमें विद्युत
चालकता बहुत कम होती है, उसे अर्धचालक कहते हैं। जैसे-
सिलिकॉन, जर्मेनियम ।
विद्युत धाराः- प्रति एकांक समय
में किसी चालक पदार्थ से प्रवाहित आवेश के परिमाण को विद्युत धारा कहा जाता है।
विद्युत धारा = आवेश/ समय, या ,
I = Q/t
किसी चालक से विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते
हैं।
विद्युत धारा को ऐम्पियर (A) से मापा
जाता है ।
1 ऐम्पियर – यदि प्रति सेकंड एक
कूलॉम आवेश का प्रवाह होती है तो उसे 1 ऐम्पियर विद्युत
धारा कहा जाता है । (1A=1C/1s)
विद्युत धारा की दिशा - किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों
अर्थात ऋणावेश के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना
लिया जाता है।
एक मिलिऐम्पियर (1mA ): 10-3 ऐम्पियर(A)
को एक मिलिऐम्पियर (1mA ) कहा जाता है ।
एक माइक्रोऐम्पियरः 10-6 ऐम्पियर
को एक माइक्रोऐम्पियर (1u A) कहा जाता है ।
विद्युत परिपथ या परिपथः- किसी
चालक पदार्थ का वह सतत तथा बंद पथ जिससे होकर विद्युत धारा प्रवाहित होता है,
उसे विद्युत परिपथ कहते हैं।
ऐमीटरः- जिस यंत्र से परिपथों की
विद्युत धारा मापी जाती है उसे ऐमीटर कहते हैं। इसे सदैव परिपथ में श्रेणीक्रम में
संयोजित किया जाता है।
विद्युत विभव या विभव – इकाई
धनावेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस
बिंदु पर विभव कहते हैं । इसे वोल्ट ( V ) से मापा जाता
है ।
विभवांतर - किसी धारावाही चालक
में इकाई धनावेश को एक बिदुं से दुसरे बिदुं तक ले जाने में किए गए कार्य को उन
दोनों बिंदुओं के बीच विभवांतर कहते हैं । इसे वोल्ट ( V ) से मापा जाता है।
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर (V) = किया
गया कार्य(W) / (Q) आवेश , V = W/Q
1 वोल्ट विभवांतर - एक कूलॉम
आवेश को यदि किसी विद्युत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच एक बिंदु से दूसरे
बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो
बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।
1 वोल्ट विभव – एक कूलॉम आवेश को
किसी धारावाही चालक के दो बिदुंओं के बीच एक बिदुं से दुसरे बिदुं तक ले जाने में
यदि 1 जूल कार्य हो तो उसे 1 वोल्ट
विभव कहा जाता है । एक वोल्ट = 1जूल / 1 कूलॉम अर्थात 1 V = 1J/ 1C
वोल्टमीटर - जिस यंत्र द्वारा
विभवांतर की माप की जाती है उसे वोल्टमीटर कहते हैं। वोल्टमीटर को सदैव
पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं ।
ओम का नियम – इस नियम के अनुसार,
किसी नियत ताप पर किसी विद्युत परिपथ में चालक के दो सिरों के
बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।
अर्थात,
V ∝ I, or V/I = R ( नियतांक )
या, V = IR , इस नियतांक R को चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
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