Metals and non-metals Class 10 Notes

 

अध्याय - धातु एवं अधातु

 

धातु- जैसे - आयरन, कॉपर, ऐलुमिनियम, मैग्नीशियम, सोडियम, लेड, जिंक आदि ।

 

 भौतिक गुणधर्म

1.धात्विक चमक - शुद्ध रूप में धातु की सतह चमकदार होती है। धातु के इस गुणधर्म को धात्विक चमक कहते हैं।

2.कठोरता- धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। प्रत्येक धातु की कठोरता अलग-अलग होती है।

3.आघातवर्ध्यताः- कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता कहते हैं। सोना तथा चाँदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएँ हैं ।

4.तन्यता - धातुओं को पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहा जाता है। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है।

एक gm सोने से 2 km लंबा तार बनाया जा सकता है।

5.धातु उष्मा के सुचालक - धातु ऊष्मा के सुचालक होते हैं तथा इनका गलनांक बहुत अधिक होता है। सिल्वर तथा कॉपर ऊष्मा के सबसे अच्छे सुचालक होते हैं। इनकी तुलना में लेड तथा मर्करी ऊष्मा के कुचालक होते हैं।

6.ध्वानिक (सोनोरस) - जो धातुएँ कठोर सतह से टकराने पर आवाज़ उत्पन्न करती हैं उन्हें ध्वानिक (सोनोरस) कहते हैं।

7.विद्युत चालकता - धातुएँ विद्युत के चालक होते हैं ।

8. धातुओं का गलनांक अधिक होता है ।

भौतिक गुणधर्मों के कई अपवाद हैं। उदाहरण के लिए:

(i) साभी धातुएँ कमरे के ताप पर ठोस अवस्था में पाई जाती हैं।( अपवाद- मर्करी)

(ii) धातुओं का गलनांक अधिक होता है लेकिन गैलियम और सीज़ियम का गलनांक बहुत कम है। हथेली पर इन दोनों धातुओं को रखेंगे तो ये पिघलने लगेंगी।

(iii) आयोडीन अधातु होते हुए भी चमकीला होता है।

(iv) कार्बन ऐसी अधातु है जो विभिन्न रूपों में विद्यमान रहती है। प्रत्येक रूप को अपररूप कहते हैं। हीरा कार्बन का एक अपररूप है। यह सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है एवं इसका गलनांक तथा क्वथनांक बहुत अधिक होता है। कार्बन का एक अन्य अपररूप ग्रेफाइट, विद्युत का सुचालक है।

(iv) क्षारीय धातु (लीथियम, सोडियम, पोटैशियम) इतनी मुलायम होती हैं कि इसे चाकू से  काटा जा सकता है। इनके घनत्व तथा गलनांक कम होते हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म:-

1.वायु के साथ अभिक्रियाः- लगभग सभी धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर संगत धातु के ऑक्साइड बनाती हैं।

धातु + ऑक्सीजन धातु ऑक्साइड

उदाहरण के लिए, 1.जब कॉपर को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनाता है।

\(2Cu + O_2                     2CuO\)

(कॉपर)                      [कॉपर(II) ऑक्साइड ]

2. ऐलुमिनियम ऐलुमिनियम ऑक्साइड प्रदान करता है।

4Al   +      3O2              2Al 2 O3

(ऐलुमिनियम)                      (ऐलुमिनियम ऑक्साइड)

3.   4Fe +3 O2  2Fe2O3

4. 2Pb + O2 2PbO       5.   2 Mg + O2   2MgO    6.     2 Zn  +  O2  2 ZnO

धातु ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है। लेकिन ऐलुमिनियम ऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड जैसे धातु ऑक्साइड अम्लीय तथा क्षारीय उभयधर्मी प्रदर्शित करते हैं। 

ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षारक दोनों से अभिक्रिया कर उत्पाद के रूप में लवण तथा जल प्रदान करते हैं, उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते हैं।

अम्ल तथा क्षारक के साथ ऐलुमिनियम ऑक्साइड निम्न प्रकार से अभिक्रिया करता है।

Al2 O3   + 6HCl 2AICI3   + 3H2O

Al½O3 + 2NaOH 2NaAlO2   (सोडियम ऐलुमिनेट)  +   H2O

अधिकांश धातु ऑक्साइड जल में अघुलनशील हैं लेकिन इनमें से कुछ जल में घुलकर क्षार प्रदान करते हैं। सोडियम ऑक्साइड एवं पोटैशियम ऑक्साइड निम्न प्रकार से जल में घुलकर क्षार प्रदान करते हैं:

Na 2O(s) + H2 O(l) 2NaOH(aq)  and  K 2O(s) + H2 O(l) 2KOH(aq)

विभिन्न धातुएँ ऑक्सीजन के साथ भिन्न-भिन्न  अभिक्रियाशीलता प्रदर्शित करती हैं।

(i) पोटैशियम तथा सोडियम जैसी कुछ धातुएँ इतनी तेज़ी से अभिक्रिया करती हैं और खुले वायु में रखने पर आग पकड़ लेती हैं। इसलिए, इन्हें सुरक्षित रखने के लिए तथा अचानक आग को रोकने के लिए किरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है।

(ii) साधारण ताप पर मैग्नीशियम(Mg), ऐलुमिनियम (Al), जिंक (Zn), लेड(Pb) आदि जैसी धातुओं की सतह पर ऑक्साइड की पतली परत चढ़ जाती है। ऑक्साइड की यह पतली परत धातुओं को पुनः ऑक्सीकरण से सुरक्षित रखती है।

(iii)  गर्म करने पर आयरन का दहन नहीं होता है लेकिन जब बर्नर की ज्वाला में लौह चूर्ण डालते हैं तब वह तेज़ी से जलने लगता है।

(iv) कॉपर का दहन नहीं होता है लेकिन गर्म धातु पर कॉपर (II) ऑक्साइड की काले रंग की परत चढ़ जाती है।

(v) सिल्वर एवं गोल्ड बहुत अधिक ताप पर तापन से भी ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

ऐनोडीकरण (Anodising) - ऐलुमिनियम की साफ़ वस्तु को ऐनोड बनाकर उस पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की मोटी परत बनाने की प्रक्रिया को ऐनोडीकरण कहते हैं। वायु के संपर्क में आने पर ऐलुमिनियम पर ऑक्साइड की पतली परत का निर्माण होता है। ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत इसे संक्षारण से बचाती है। इस परत को अधिक मोटा कर इसे संक्षारण से अधिक सुरक्षित  किया जा सकता है। ऐनोडीकरण के लिए ऐलुमिनियम की एक साफ़ वस्तु को ऐनोड बनाकर तनु सल्फ़्यूरिक अम्ल के साथ इसका विद्युत अपघटन किया जाता है । ऐनोड पर उत्सर्जित ऑक्सीजन गैस ऐलुमिनियम के साथ अभिक्रिया करके ऑक्साइड की एक मोटी परत बनाती है। इस ऑक्साइड की परत को आसानी से रँगकर ऐलुमिनियम की आकर्षक वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं।

जल के साथ अभिक्रियाः- जल के साथ अभिक्रिया करके धातुएँ हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड उत्पन्न करती हैं। जो धातु ऑक्साइड जल में घुलनशील हैं, जल में घुलकर धातु हाइड्रॉक्साइड प्रदान करते हैं। लेकिन सभी धातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती हैं।

धातु + जल धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन

धातु ऑक्साइड + जल धातु हाइड्रॉक्साइड

पोटैशियम एवं सोडियम जैसी धातुएँ ठंडे जल के साथ तेज़ी से अभिक्रिया करती हैं। सोडियम तथा पोटैशियम की अभिक्रिया तेज़ तथा ऊष्माक्षेपी होती है कि इससे उत्सर्जित हाइड्रोजन तत्काल प्रज्ज्वलित हो जाती है।

2K(s) +2H2O(l) 2KOH(aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा

2Na(s) + 2H2O(l) 2NaOH(aq) + H2(g) + ऊष्मीय ऊर्जा

जल के साथ कैल्सियम की अभिक्रिया थोड़ी धीमी होती है। यहाँ उत्सर्जित ऊष्मा हाइड्रोजन के प्रज्ज्वलित होने के लिए पर्याप्त नहीं होती है।

Ca(s) + 2H2O(l) Ca(OH)2 (aq) + H2 (g)

क्योंकि उपरोक्त अभिक्रिया में उत्पन्न हाइड्रोजन गैस के बुलबुले कैल्सियम धातु की सतह पर चिपक जाते हैं। अतः कैल्सियम तैरना प्रारंभ कर देता है।

मैग्नीशियम शीतल जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है परंतु गर्म जल के साथ अभिक्रिया करके वह मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है। चूँकि हाइड्रोजन गैस के बुलबुले मैग्नीशियम धातु की सतह से चिपक जाते हैं। अत: यह भी तैरना प्रारंभ कर देते हैं।

ऐलुमिनियम, आयरन तथा जिंक जैसी धातुएँ न तो शीतल जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करती हैं। लेकिन भाप के साथ अभिक्रिया करके यह धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन प्रदान करती हैं।

2Al(s) + 3H2O(g) Al2 O3 g(s) + 3H2 (g)

3Fe(s) + 4H2O(g) Fe3O4 (s) + 4H2 (g)

जल के साथ लेड, कॉपर, सिल्वर तथा गोल्ड जैसी धातुएँ बिलकुल अभिक्रिया नहीं करती हैं।

अम्लों के साथ अभिक्रियाः- धातुएँ अम्ल के साथ अभिक्रिया करके संगत लवण तथा हाइड्रोजन गैस प्रदान करती हैं।

धातु + तनु अम्ल लवण + हाइड्रोजन

तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ मैग्नीशियम, ऐलुमिनियम, जिंक तथा आयरन की अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।

Mg (s) + HCl (तनु)  MgCl2  + H2 (g)

Al (s)  + HCl (तनु) AlCl¬¬3 + H2 (g)

Zn (s) + HCl (तनु)  ZnCl2  + H2 (g)

Fe (s) + HCl (तनु)  FeCl2  + H2 (g)

जब धातुएँ नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करती हैं तब हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित नहीं होती है। क्योंकि HNO3 एक प्रबल ऑक्सीकारक होता है जो उत्पन्न H2 को ऑक्सीकृत करके जल में परिवर्तित कर देता है एवं स्वयं नाइट्रोजन के किसी ऑक्साइड (N2 O,   NO,   NO2 ) में अपचयित हो जाता है।

लेकिन मैग्नीशियम (Mg) एवं मैंगनीज (Mn), अति तनु HNO3  के साथ अभिक्रिया कर H2 गैस उत्सर्जित करते हैं।

कॉपर की स्थिति में न तो बुलबुले बनते हैं और न ही ताप में कोई परिवर्तन होता है। इससे पता चलता है कि कॉपर तनु HCI

के साथ अभिक्रिया नहीं करता है।

अभिक्रियाशीलता इस क्रम में घटती है: Mg > Al >Zn >Fe

ऐक्वा रेजिया – Aqua regia (रॉयल जल का लैटिन शब्द) 3:1 के अनुपात में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक  अम्ल एवं सांद्र नाइट्रिक अम्ल का ताज़ा मिश्रण होता है। यह गोल्ड को गला सकता है जबकि दोनों में से किसी अम्ल में अकेले यह क्षमता नहीं होती है। ऐक्वा रेजिया भभकता द्रव होने के साथ प्रबल संक्षारक है। यह उन अभिकर्मकों में से एक है जो गोल्ड एवं प्लैटिनम को गलाने में समर्थ होता है।

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